एक अभियान
आप सभी ने हमारी आध्यात्मिक पोस्ट का अध्ययन कर उनकी सराहना की उसे लाइक, कमेन्टस एवं शेयर भी किया, शिवा मिशन न्यास (रजि.) एक आध्यात्मिक संस्था के साथ-साथ सामाजिक कार्य भी बिना किसी प्रचार-प्रसार, शोर-शरावे के साथ शान्तिपूर्वक सम्पन्न करती है। यदि आप भी संस्था के विचारों से सहमत हैं एवं स्वयं के स्तर से तथा स्वयं की सामर्थ्य के अनुसार निस्वार्थ भाव से कार्य करना चाहते हैं तथा नीचे दिये गये उद्देश्यों एवं कार्यों से सहमत हैं तो कृपया अपने कमेन्टस् एवं प्रतिक्रियाऐं अवश्य दें।
वर्तमान में समाज में कुछ बुराईयाँ अथवा कुरीतियाँ मौजूद हैं। शिवा मिशन न्यास का विचार है, जिस प्रकार पूर्व में हमारे कुछ महापुरुषों ने अनेक कुरीतियों का अन्त किया जैसे- सती प्रथा का अन्त, बाल विवाह का अन्त, मृत्युभोज आदि प्रथाओं का शनैः-शनैः अन्त हुआ। तदोपरान्त आज भी अनेक बुराईयाँ हैं जिन्हें समाप्त किया जाना परम आवश्यक है, जिनमें से कुछ है- भिक्षावृत्ति, वैश्यावृत्ति एवं नशा इत्यादि अर्थात जितनी भी दूषित वृत्तियाँ हैं उन्हें समाज से समाप्त करने की दिशा में कार्य करना आवश्यक है। वर्तमान में इन वृत्तियों का बहुत ही घृणित स्वरूप सामने आ रहा है जिसके बारे में हम सभी भलीभांति जानते हैं । विचारणीय प्रश्न यह है कि इस समस्या से छुटकारा कैसे मिले और समाज की दुष्प्रवृत्तियों पर अंकुश किस प्रकार लगे । इस दिशा में विचारोपरान्त कुछ उपाय सुझावों के रूप में आपके समक्ष रख रहा हूं।
देवालयों के माध्यम से समाजिक कुरीतियों का उन्मूलन
वर्तमान में हमारे देवालय (पूजा स्थल) के प्रति हमारा केवल एक ही भाव है। हम जिस किसी ईष्ट की आराधना करते हैं, वहाँ जाकर पत्र, पुष्प नेवेद्ध आदि चढ़ाकर, दान पेटी में दान डालकर या पूजा थाल में दान देकर बाहर लाइन में बैठे भिखारियों को दान-दक्षिणा देकर एवं भगवान् के समक्ष अपने मन की अभिलाषा पूर्ति का निवेदन कर प्रसन्न चित्त से घर आ जाते हैं। यद्धपि हमारा यह क्रम आज हिन्दू सनातन धर्म को जीवित रखने में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। तथापि कुछ विचारणीय बिन्दु भी इसके साथ उत्पन्न होते हैं।
- जब, गुरूद्वारे, गिरजाघर यहाँ तक कि मस्जिद आदि के बाहर कोई भीख मांगता हुआ नहीं दिखता तो हमारे देवालयों के बाहर भिक्षावृत्ति क्यों, क्या देवालयों के माध्यम से हम इसे दूर करने की पहल नहीं कर सकते ?
- आपके देवालय के सामने सिक्ख, ईसाई, मुसलिम, बोद्ध आदि समुदाय के लोग भीख मांगते हुए नहीं दिखते। क्या इनमें निर्धनता नहीं होती, होती है, किन्तु ये जातियाँ इनका प्रबन्ध करती हैं। हिन्दुओं में भी सिन्धी, जैन एवं सिक्ख आदि कुछ जातियाँ हैं, जिनके व्यक्ति भीख मांगते हुए नहीं दिखते।
- हमें अपने देवालयों के परिसरों को विकसित करने एवं अन्य सामाजिक कल्याण की दिशा में निम्न गतिविधियों को संचालित करने पर विचार करना चाहिये -
अ - समाज के प्रबुद्ध एवं अनुभवी व्यक्ति अपने अनुभवों का लाभ देवालयों के माध्यम से निस्वार्थ भाव से देने पर विचार करें और एकजुट हों ।
ब - समाज के विभिन्न विधाओं के व्यक्ति जैसे डॉक्टर, इन्जीनियर, सेवा निवृत शासकीय अधिकारी/कर्मचारी, समाज सेवी संस्थाएँ, व्यवसायी, शिक्षाविद आदि-आदि अनेकों व्यक्ति अपने-अपने ज्ञान एवं अनुभव का लाभ समाज को मार्गदर्शक के रूप में देवालयों से प्रदान करने की पहल पर विचार करें ।
स - हमारे द्वारा देवालयों के माध्यम से न लाभ न हानि के आधार पर आम जन की आवश्यक वस्तुओं एवं दवाओं आदि का विक्रय एवं वितरण की व्यवस्था पर विचार करें एवं इस संबंध में नियम सम्मत प्रक्रिया विकसित करें ।
द - देवालयों के माध्यम से वृद्ध एवं निराश्रित एवं समाज के भटके हुए व्यक्तियों को यथायोग्य मार्गदर्शन एवं सहायता प्रदान करने का कार्य प्रारम्भ करने एवं योग्य काउन्सिलिंग की व्यवस्था करें ।
ई - शिक्षित/अशिक्षित बेराजेगारों को उ़द्यम संबंधी मार्गदर्शन की व्यवस्था करें ।
देवालय परिसरों में फैली भिक्षावृत्ति को समाप्त करने की शुरूआत करें 02 अक्टूबर 2020 से
भिक्षावृत्ति का सबसे बड़ा केन्द्र है, हिन्दू धर्म के पूजा स्थल, यहाँ हिन्दू धर्म का नाम इसलिये लिया जा रहा है कि हमारे समाज में किसी भी गुरूद्वारे, गिरिजाघर, यहाँ तक कि मस्जिद और ईदगाहों पर भी कोई भीख मांगता नजर नहीं आता। तो क्या कारण है कि हमारे देवालयों पर इतना चढ़ावा आने के बाद भी वहाँ भिखारियों की समस्या का अन्त नहीं हो रहा। जिस देवालय पर जितना चढ़ावा उस पर भिखारियों की उतनी अधिक भीड़।
अब प्रश्न उठता है कि इस समस्या से छुटकारा कैसे मिले, तो आइये निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार करें एवं सहमत होने पर स्वयं अमल करें और दूसरों को प्रेरित करें।
- जिस देवालय के सामने भिखारी बैठा हो वहाँ यदि आप कुछ धनराशि चढ़ाना चाहते हैं, तो उसका केवल 10 प्रतिशत ही चढ़ायें शेष 90 प्रतिशत घर पर एक धर्म गुल्लक में डाल दें और मंदिर के प्रबंधन को बता दें कि जब तक आप इन भिक्षुकों की व्यवस्था नहीं करते हम केवल संकल्प की 10 प्रतिशत राशि ही दान देंगे, जिससे देवालय और पुजारी का जीवन निर्वाह हो सके। शेष 90 प्रतिशत राशि तब ही दी जावेगी, जब मन्दिर के आगे से भिक्षावृत्ति बन्द हो जावेगी।
- मंदिर पर बैठे या रास्ते में भीख मांगते व्यक्ति को बिलकुल भी भीख न दें। किसी को आम रास्ते भीख देना कानूनन भी गलत है। यदि हम 2 अक्टूबर 2020 से आगामी एक माह भिक्षा न देने का संकल्प लें तो एक बहुत बडी बुराई समाज से आप और हम समाप्त करने की ओर बढ़ सकते हैं।
- कुछ लोगों का कहना है कि भीख नहीं देंगे तो भिखारी भूखा मर जायेगा। आपको जानकारी होनी चाहिये कि भूख से कोई भी व्यक्ति यदि मर जाए तो जिला प्रशासन की शामत आ जाती है। हमें अपने अधिकार को पहचानना है, और भूखे व्यक्ति को जिला प्रशासन के केन्द्र तक पहुँचाना है।
यदि आप सहमत अथवा किन्ही बिन्दुओं पर असहमत हैं तो अपना दृष्टिकोण अवश्य लिखें, यदि सुझाव हो तो भी लिखें ।