शिवत्व की पुर्नस्थापना

    आदरणीय बन्धुओं ॐ नमः शिवाय, आइये आज आपको विश्व कल्याण के हेतु एक महान उद्देश्य एवं कार्य से परिचित कराते हैं। बाबा कैलासी के आदेश से शिवा मिशन न्यास शिवत्व की पुर्नस्थापना के लिये विश्व के प्रत्येक राष्ट्र में देव नदी नर्मदा जी के पावन जल में से निकले (पाषाण से निर्मित) शिवलिंग की ज्योर्तिमय स्थापना कर एक धाम के रूप में विकसित कर सत्ययुगीन व्यवस्था स्थापित करने का संकल्प विगत 16 वर्षों से लिये हुए है।

    इस संकल्प के अन्तर्गत बाबा कैलासी के मार्ग दर्शन में शिवा मिशन न्यास एक समान आकार-प्रकार के नर्मदेश्वर शिवलिंग एवं सवा करोड़ हस्तलिखित ‘‘ॐ नमः शिवाय‘‘ मन्त्र, शिवालय के गर्भग्रह में स्थापित करने के लिये निःशुल्क प्रदान करेगा तथा शिवालय का एक समान आकार-प्रकार का नक्शा एवं पूजा पद्धति भी निःशुल्क उपलब्ध करायेगा। अतः यदि विश्व के किसी भी राष्ट्र का कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह इस विचार से सहमत है तो कृपया नीचे दिये गये पते या ई-मेल पर सम्पर्क कर सकता है। उक्त नर्मदेश्वर ज्योतिर्लिंग का संचालन उसी राष्ट्र के स्थानीय लोग करेंगे, शिवा मिशन न्यास का उस पर किसी भी प्रकार का दावा या अधिकार नहीं होगा।

    अब आपके मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है, कि इस की क्या आवश्यकता है ? कहीं यह एक नया प्रोपेगण्डा या पाखण्ड तो नहीं है ? किन्तु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शिवा मिशन न्यास विश्व में धर्म के नाम पर फैली हुई भ्रान्तियों को दूर कर , पाखण्ड को समाप्त कर, सत्य का ज्ञान अर्थात् ब्रह्म का बोध प्रत्येक स्त्री-पुरूष के हृदय में प्रकट कराना चाहता है।

    वैदिक एवं पौराणिक अध्ययन के अनुसार प्रथ्वी पर सर्वप्रथम सदाशिव, लिंग के रूप में अवतरित हुए थे और उसी से सर्वप्रथम सूक्ष्म शब्द ब्रह्म ‘‘ॐ ‘‘ एवं स्थूल शब्द बह्म ‘‘नमः शिवाय‘‘ का प्राकट्य हुआ था तदोपरान्त इसी से गायत्री मन्त्र और फिर वेदों का प्राकट्य हुआ था। सत्य युग में सम्पूर्ण प्रथ्वी पर केवल-केवल शिवलिंग की ही पूजा-अर्चना होती थी। प्रमाण स्वरूप आज भी प्रायः सभी देशों में शिवलिंग के भग्नावशेष पाये जाते हैं। कई देशों में तो अलग-अलग नाम से शिवलिंग की पूजा आज भी होती है। इस संबंध में एक व्हिडियो पूर्व में जारी किया जा चुका है, जिसका अवलोकन आप कर सकते हैं।

    वेद का एक वाक्य है-

‘‘ लयना लिंग मुच्यते ‘‘

    अर्थात् इस चराचर जगत् की उत्पत्ति एवं लय सदाशिव के लिंग स्वरूप से होती है।

‘‘ एको ही रूद्रो न द्वितीयो यतस्तद् ‘‘

    अर्थात् सृष्टि के आरम्भ में केवल एक ही रूद्र देव रहते हैं दूसरा कोई नहीं।

इस प्रकार सृष्टि में भगवान् एक ही है, दो हो नहीं सकते, अनेक नहीं हो सकते। वह कण-कण में व्याप्त है। यदि दूसरा भगवान् है तो उसके लिये दूसरा संसार चाहिये व्याप्त होने के लिये। स्वयं सिद्ध एक इष्ट के स्थान पर अनेकों इष्ट बनाकर आज हम सभी बिखरे पड़े हैं। शाश्वत एक मात्र सर्व व्याप्त ईश्वर सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमपिता परमात्मा भगवान् सदाशिव हैं। इसीलिये सम्पूर्ण विश्व का इष्ट एक मात्र परमात्मा शिव ही है।

    अतः शिवा मिशन न्यास बाबा कैलासी के आदेश से सम्पूर्ण विश्व में शिवत्व की पुर्नस्थापना के लिये प्रयत्नशील है। यदि आप इस यात्रा में सहयोगी बनना चाहते हैं, तो आपके परिचय में जो भारतीय विदेशों में रहते हैं, उन तक यह सन्देश अवश्य शेयर करें। भगवान् शिव आपका कल्याण करेंगे।

    बोलिये ‘‘ॐ नमः शिवाय ‘‘

पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर

‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
297- तुलसी विहार, स्टेट बैंक के पास, सचिन तेन्दुल्कर मार्ग,
सिटी सेन्टर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पिन-474011 (इण्डिया)
ई-मेल : [email protected]
फोन- 91-0751-2233499, 7880118361 (समय 2:00 pm से 6:00 pm तक भारतीय समय अनुसार)