पाँच मुखी रुद्राक्ष
पंचवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निनमितः प्रभुः ।
सर्वमुक्ति प्रदशचैव सर्वकामफल प्रदः ।।
पाँच मुखी रुद्राक्ष स्वयं रुद्र स्वरूप है । इसे कालाग्नि के नाम से भी जाना जाता है । पाँच मुखी रुद्राक्ष सर्वाधिक शुभ और पुण्यदायी माना जाता है, इससे यशोवृद्धि होती है और वैभव सम्पन्नता भी आती है। इससे सुख शान्ति और ख्याति की प्राप्ति होती है । दूषित दृष्टिग्रस्त - अन्नभक्षण से उत्पन्न बाधायें भी इस रुद्राक्ष के धारणकर्ता को नहीं व्यापतीं ।
पाँच मुखी रुद्राक्ष सबकुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देने वाला तथा सम्पूर्ण मनोवाञ्छित फल प्रदान करने वाला है । यह रुद्राक्ष समस्त पापों को दूर कर देता है।
इसका संचालन ग्रह वृहस्पति है । यह ग्रह धन, वैभव, ज्ञान, गौरव का भी कारक है। यह मज्जा, यकृत, चरण, नितंब इत्यादि का भी कारक है। वृहस्पति यदि बुरे प्रभाव में हो तो व्यक्ति को अनेक तरह के कष्ट होते हैं। वृहस्पति, पत्नी के लिये पति का और पति के लिये पत्नी का भी कारक है । इसकी प्रतिकूलता से निर्धनता और दाम्पत्य सुख में विघ्न उत्पन्न होता है । इन सभी बीमारियों के निदान और निवारण हेतु सभी को पँचमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिये ।

पँचमुखी रुद्राक्ष सभी रुद्राक्षों में सर्वाधिक सस्ता है। अतः एक दाना धारण करने की अपेक्षा पूरी माला ही धारण कर लेना चाहिये । पुखराज जैसा बेशकीमती रत्न मूल्य की दृष्टि से बेशक इससे ज्यादा है । परन्तु गुणों में इससे कहीं पीछे है। इसे धारण करने का मन्त्र “ॐ ह्रीं नमः" है । इस मन्त्र का कम से कम 108 बार जप करके इसे गले में धारण करना चाहिये। यह रुद्राक्ष अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है । अतः इसके नकली होने की सम्भावना प्रायः शून्य ही होती है ।
पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर
‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
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