सात मुखी रुद्राक्ष

सप्तवक्त्रो महाभागो ह्यनंगो नाम नामतः ।
तद्धारणन्मुच्यते हि स्वर्णस्तेयादि पातकैः ।।

सात मुख वाला रुद्राक्ष अनङ्गस्वरूप और अनङ्ग नाम से प्रसिद्ध है । सात मुखी रुद्राक्ष के देवता सात माताएँ और हनुमान जी है। पद्म पुराण के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष के सातों मुख में महाबलशाली नाग निवास करते हैं । अनंत, कर्कट, पुण्डरीक, तक्षक, विषोल्बण, करोष और शंखचूड।

इस रुद्राक्ष के धारण मात्र से शरीर पर किसी भी प्रकार के विष का असर नहीं होता। जन्म कुण्डली में यदि पूर्ण या आँशिक कालसर्पयोग विद्यमान हो तो सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पूर्ण अनुकूलता प्राप्त होती है। इसे धारण करने से विपुल वैभव और उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है, मनुष्य सदैव प्रगति के पथ पर ही चलता रहता है ।

इस रुद्राक्ष का संचालक तथा नियंत्रण ग्रह शनि है। यह रोग तथा मृत्यु का कारक है। यह ग्रह ठंडक, नपुंसकता, पैरों के बीच तथा नीचे वाले भाग, गतिरोध, विष, लम्बी अवधि तक रोग, वायु, स्नायु, अभाव आदि का नियामक है । यह लोहा, पेट्रोल, चमड़ा आदि का भी प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह है।

यह सभी रोग शनि के प्रतिकूल होनें पर उत्पन्न होते हैं । अतः शनि ग्रह को नियंत्रित और शान्त करने के लिये सात मुखी रुद्राक्ष परम लाभदायी है। शनि और शनि की ढैय्या एवं साढेसाती से पीड़ित लोगों को तो इसके पीड़ादायक उग्र प्रभावों से बचने के लिये सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिये । मूल्यवान नीलम रत्न भी प्रभावों में सात मुखी रुद्राक्ष से मुकाबला नहीं कर सकता।

वर्तमान युग (कलयुग ) में सात मुखी रुद्राक्ष की महत्ता और उपयोगिता इसलिये भी अधिक है। क्योंकि शनि ग्रह लोहा, चमड़ा और पेट्रोल का भी कारक है। अतः इन तीनों से होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिये सात मुखी रुद्राक्ष कल्प वृक्ष की भाँति है । इस रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र “ॐ हुं नम:” है। अतः इस मन्त्र का कम से कम 108 बार जप करके ही सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिये ।

पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर

‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
297- तुलसी विहार, स्टेट बैंक के पास, सचिन तेन्दुल्कर मार्ग,
सिटी सेन्टर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पिन-474011 (इण्डिया)
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