छः मुखी रुद्राक्ष
षडवक्त्रः कार्तिकेयस्तु धारणाद्दक्षिणे भुजे ।
ब्रह्महत्यादिकैः पापैर्मुच्यते नात्रसंशयः ।।
छः मुख वाला रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरूप है । यदि दाहिनी बाँह में उसे धारण किया जाये तो धारण करने वाला मनुष्य ब्रह्म हत्या आदि पापों से मुक्त हो जाता है। इसे धारण करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है, क्षत्रिय विजय प्राप्त करता है तथा वैश्य एवं शूद्र वर्ण के व्यक्ति सदैव धन-धान्यादि |
ऐश्वर्य से भरे-पूरे रहते हैं । छ: मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय जी के साथ गणेश जी का स्परूप भी होने के कारण इसके धारणकर्ता के लिये गौरी पार्वती विशेष रूप से वरदायिनी होकर माता की भाँति सदैव रक्षा करती हैं।
इस रुद्राक्ष का नियंत्रक और संचालक ग्रह शुक्र है, जो भोग-विलास और सुख-सुविधा का प्रतिनिधि है। शुक्र ग्रह गुप्तेन्द्रिय, पुरूषार्थ, काम-वासना, उत्तम भोग्य वस्तु, प्रेम, संगीत, भागीदारी इत्यादि का कारक है। शुक्र ग्रह के दुष्प्रभाव से नेत्र रोग, यौन रोग, मुख रोग, मूत्र रोग, ग्रीवा रोग और जल शोध इत्यादि रोग होते हैं। इन सभी रोगों के निदान और निवारण हेतु छ: मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिये। जिन लोगों की राशि वृष और तुला है उनके लिये छः मुखी रुद्राक्ष विशेष लाभदायी है। इसे धारण करने का मन्त्र “ॐ ह्रीं हुं नमः” है। अतः इसे धारण करने के पूर्व कम से कम 108 बार उक्त मन्त्र का जप करना चाहिये । रुद्राक्ष की पैदावार में छः मुखी रुद्राक्ष की उपलब्धता अधिक होने से यह शुद्ध व कम मूल्य पर सरलता से प्राप्त हो जाता है।

पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर
‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
297- तुलसी विहार, स्टेट बैंक के पास, सचिन तेन्दुल्कर मार्ग,
सिटी सेन्टर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पिन-474011 (इण्डिया)
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