दस मुखी रुद्राक्ष
दशवक्त्रस्तु देवेशः साक्षाद्देवो जनार्दना,
ग्रहश्चैत पिशाचाश्च बेताल ब्रह्मराक्षसाः ।
भुक्तिमुक्ति प्रदः प्रोक्तो मम तुल्यबलो भवेत् । ।
दस मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात् भगवान् विष्णु जी का रूप है। इसको धारण करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। और दसों दिशाओं में उसकी कीर्ति बढ़ती है । भूत, पिशाच, बेताल, ब्रह्मराक्षस आदि सब दस मुख रुद्राक्ष धारी के सामने शान्त हो जाते हैं। इसके धारण करने से मनुष्य के सर्वग्रह शान्त बने रहते हैं ।
पद्मपुराण के अनुसार दस मुखी रुद्राक्ष पर यमदेव, भगवान् विष्णु, महासेन, दश दिक्पाल और दश महाविद्याओं का निवास होता है। इसके धारण करते ही सभी प्रतिकूल ग्रह अनुकूल हो जाते हैं। दसमुखी रुद्राक्ष पर जितने देवों और देवियों का अधिवास है, इसके आधार पर दसमुखी रुद्राक्ष अपने प्रकार का सर्वाधिक सशक्त, और अनूठा रुद्राक्ष है। इसके धारण करने से सभी नवग्रह शान्त और प्रसन्न होते हैं। यह महान् शक्तिशाली रुद्राक्ष है ।
दस मुख रुद्राक्ष अपनी चमत्कारी शक्ति सामर्थ्य के कारण नवग्रह के नियंत्रण केन्द्र से भी ऊपर है । इसका प्रभाव ग्रहाँतरों से आता है और ग्रहाँतरों तक जाता है ।

यह समस्त सुखों को देने वाला शक्तिशाली और परम चमत्कारी रुद्राक्ष है । वास्तव में मानव जाति के लिए भगवान् शिव की यह अनुपम भेंट है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला मन्त्र “ॐ ह्रीं नमः” है। अतः दस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व उक्त मन्त्र का कम से कम 108 बार जप करना चाहिये । तदोपरान्त इस रुद्राक्ष को भक्ति पूर्वक धारण करना चाहिये ।
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‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
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