तेरह मुखी रुद्राक्ष
वक्त्र त्रयोदशो वत्स रुद्राक्षो यदि लभ्यते,
कार्तिकेय समोज्ञेयः सर्वकामार्थ सिद्धिदः ।
मातरं पितरं चैव भ्रातरं व निहति यः,
मुच्यते सर्व पापेभ्यो धारणातस्य षण्मुख ।
तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वेदेवों का स्वरूप है । उसको धारण करके मनुष्य सम्पूर्ण अभीष्टों को पाता है तथा सौभाग्य और मङ्गल लाभ करता है । तेरह मुखी रुद्राक्ष के देवता कामदेव हैं। यह काम और रस- रसायन को सिद्धि प्रदान करने वाला है । इसके धारण करने वाले को सब प्रकार के भोग प्राप्त होते हैं, तथा किसी बन्धु-बान्धव को मारे हुए पाप से भी मुक्ति मिलती है | जो व्यक्ति सुधा-रसायन का प्रयोग करना चाहते हैं जो धातुओं के निर्माण के लिये कृत संकल्प है, जिसका स्वभाव रसिक है उन्हें इस रुद्राक्ष के धारण करने से सिद्धि प्राप्त होती है, सभी कामनाओं की पूर्ति अर्थ-लाभ, रस- रसायन की सिद्धियाँ और सम्पूर्ण सुख भोग मिलता है । इस रुद्राक्ष पर कामदेव के साथ उनकी पत्नी रति का भी निवास है । अतः वे पति पत्नी जिनके मध्य कलह का वातावरण रहता है और उनका दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं है उन्हें अवश्य तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिये । इस रुद्राक्ष में असंख्य आध्यात्मिक शक्तियाँ समाहित हैं, जिसके कारण हिमालय या कन्दराओं में छुपे घोर तपस्वी और योगीगण इस रुद्राक्ष को धारण करने के लिये सदैव लालायित रहते हैं । इसे धारण करने का मन्त्र "ॐ ह्रीं नमः" है । अतः तेरह मुखी रुद्राक्ष धारणकर्ता को चाहिये कि उक्त मन्त्र का कम से कम 108 बार जप करके ही धारण करें ।

पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर
‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
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