तीन मुखी रुद्राक्ष

त्रिक्वत्रोयोहिरुद्राक्षः साक्षात् साधनदस्सदा ।
तत्प्रभावाद्भवेयुर्वैविद्याः सर्वा प्रतिष्ठिता ।।

तीन मुख वाला रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरूप है। इसके प्रभाव से सारी विधाएँ प्रतिष्ठित होती हैं। इसके धारण से जन्म-जन्मांतरों में देह से किये गये सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष धारणकर्ता की कभी पराजय नहीं होती वो कभी भी मुसीबतों में नहीं फँसता । इसका संचालक ग्रह मङ्गल है । मङ्गल को ज्योतिषशास्त्र में सेनापति का दर्जा दिया जाता है ।

यह अग्निरूप है । मङ्गलग्रह रक्त मस्तक, ग्रीवा, कान, अण्डकोष, अस्थिमज्जा, जननेन्द्रिय, गुर्दा, लाल रक्त कण आदि का कारक हैं। मङ्गल ग्रह का यदि किसी पर दुष्प्रभाव है तो उसे रक्त रोग, हैजा, प्लेग, चेचक, शक्ति क्षीणता, अस्थि भ्रंश, बवासीर, मासिक धर्म रोग, अल्सर, अतिसार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। ऐसे सभी रोग तीन मुख वाले रुद्राक्ष धारक को नहीं होते। जिनकी राशि वृश्चिक और मेष है, उनके लिये तो तीन मुखी रुद्राक्ष भाग्योदयकारी है। यह मूँगा रत्न से सस्ता होते हुये भी गुणों में कई गुना ज्यादा फलदायी होता है। इसे धारण करने से पूर्व "ॐ क्लीं नमः” मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिये ।

पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर

‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
297- तुलसी विहार, स्टेट बैंक के पास, सचिन तेन्दुल्कर मार्ग,
सिटी सेन्टर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पिन-474011 (इण्डिया)
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