बारह मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष द्वादशाक्षस्य कण्ठदेशे च धारणात् ।
आदित्यस्तुष्यते नित्यं द्वादशार्क व्यवस्थितः । ।
बारह मुखी रुद्राक्ष महाविष्णु के स्वरूप वाला है । इसे केश प्रदेश में धारण करने से मानो धारण करने वाले के मस्तक पर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं। इसे पहन लेने से किसी भी शस्त्रधारी, व्याघ्र इत्यादि का भय नहीं व्यापता इसको धारण करने वाला आदि व्याधि से दूर होकर राजा बनने के योग्य होता है। शासन करने की इच्छा करने वाले व्यक्ति को इसका धारणकरना बड़ा लाभप्रद होता है ।
बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला निरोगी और अर्थलाभ करके सुख भोगता हुआ जीवन व्यतीत करता है। दरिद्रता उसे छू भी नहीं पाती। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाकर शक्ति प्रदान करता है ।
सभी शास्त्र और पुराणों ने इस रुद्राक्ष में सूर्य की प्रतिष्ठा मानी है। इस कारण जिस प्रकार यह रुद्राक्ष सूर्यवत् तेजस्विता, प्रखरता और सम्राट की तरह है, उसी प्रकार जो मनुष्य इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह राजा की भाँति बन जाता है। विश्व में अंधकार को दूर करने वाला सूर्य इस रुद्राक्ष के माध्यम से धारणकर्ता के मन के भीतर के दुःख, निराशा, कुंठा, पीड़ा और दुर्भाग्य के अंधकार को भी दूर कर देता है।

सूर्य तेजपुञ्ज है। अतः बारह मुखी रुद्राक्ष भी धारणकर्ता को तेजस्वी बना देता है। सूर्य की तरह यशस्वी बना देता है। वर्तमान समय में मानव जाति के लिये ये रुद्राक्ष कल्पवृक्ष स्वरूप है। गुणों में माणिक्य रत्न से कहीं ज्यादा प्रभावी पर मूल्य में अत्यधिक सस्ता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र “ॐ क्रों क्षौं शैं नमः" है। अतः धारणकर्ता को चाहिये कि उक्त मन्त्र का कम से कम 108 बार जप कर रुद्राक्ष धारण करें।
पता- कार्यालय शिवा मिशन न्यास (रजि.) ग्वालियर
‘‘ रुद्राक्ष ‘‘ ॐ नमः शिवाय मन्त्र बैंक
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